उसके हाथ में कागजका तिरंगा
मज़बूरी में लहरा रहा था
और उसके हाथ २ रुपयोंके लिए
विवश हो रहे थे....
उसकी आंखोमे थे परतंत्रता के केवल १२ वर्ष
और उसके पेट में थी उन्ही १२ वर्षो की आग
पैदा होने से लेकर आज तक के १२ वर्ष
एक तप पूरा कर रही थी वो
और बारिश में उसके बिखरे बालोंसे टपक रहे थे
१२ वर्षो की व्यथा
उसके साथ उसके जन्मदाता के भी.....
स्वतंत्रता का मतलब
४-५ तिरंगे और ७-८ बिल्ले बेचकर
हाथ में आनेवाले २०-२२ रुपये....
उसके उन १२ सालो में मैंने देखी
भारतमाता के ६६ साल
दिन ब दिन प्रतिगामी होनेवाले.....
चले जाओ और इन्कलाब की घोषणा
टीवी पर देखेते वक्त
इसीको स्वतंत्रता का इतिहास कहते है
ऐसा किसी ने कहा उसे.....
उसकी कलि खिल गयी.
....या मुझे आभास हुआ
पता नहीं...
लेकिन अब दिया जलाने के लिए
हाथ मुक्त रखने होगे
इसका एहसास मुझे हो रहा था......
छानच उतरलेय,काव्य !
ReplyDeleteधन्यवाद !
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